गुरुवार, 26 अगस्त 2010

जो समझ नहीं आता

फिजूल खर्ची
हमारी सरकार सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराने के नाम पर लाखों रुपया जांच एजेंसियों को देती है। जबकि यही काम बगैर पैसे के भी हो सकता है। जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ एक बरसात का इंतजार करना होता है। जब यह काम एक बारिश बगैर पैसे के कर सकती है। तो यह समझ नहीं आता फिर क्यों सरकार लाखों रुपया बर्बाद करती है।

अतिक्रमण
नदी किनारे झोपडियां और कच्चे पक्के मकान बनाए जाते हैं, तब संबंधित प्राधिकरण उनको हटाने की बात क्यों नहीं करते, क्यों वह एक बाढ आने का इंतजार करते है। क्यों गरीब जनता पर दोधारी मार की जाती है, एक बाढ उनका सब कुछ अपने साथ बहा ले जाती है, दूसरा प्राधिकरण और प्रशासन नदी किनारे अतिक्रमण के नाम पर उनके घरों को भी आनन-फानन में तोड देता है। आखिर क्यों?

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