शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

समाज की दशा व दिशा तय कर रहा है मीडिया

सामाजिक ढांचे में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. तकनीकी रूप से मजबूत मीडिया आज समाज की दशा व दिशा तय कर रहा है. यह अलग बात है कि वह अपने इरादों में कितना कामयाब होगा. हाल फिलहाल में हुई कुछ घटनाएं इस बात का जीता-जागता उदाहरण है. कुछ समय पूर्व भ्रष्टाचार के विरूद्ध एक शख्स की आवाज को रातों-रात पूरे देश की आवाज बनाने की बात हो या दिल्ली में एक युवती के साथ गैंग रेप की घटना हो. इन दोनों मामलों में मीडिया की सकारात्मक भूमिका से इनकार नहीं किया जाा सकता. इससे साबित हो जाता है कि मीडिया को यूं ही लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नहीं कहा जाता. मीडिया के बढ़ते कदमों व नई तकनीक का असर है कि किसी भी जगह पर हुई घटना को कहीं पर भी टीवी पर सीधे प्रसारण के जरिए देखा जा सकता है. संसद या विधानसभा में जनप्रतिनिधियों की हरकतों को भी इसी मीडिया ने देशवासियों को दिखाया. वरना इससे पहले तक हर कोई ईमानदार ही दिखता था. जहां पहले हर किसी को जानकारी हासिल करने के लिए सिर्फ समाचार पत्रों का इंतजार ही रहता था, वहीं इसमें न्यूज चैनल्स भी शामिल हो गए. साथ ही अब इस सोशल मीडिया भी शामिल हो गया है. सोशल नेटवर्किंग साइट्स के अस्तित्व में आने के बाद अब मीडिया में गलाकाट प्रतियोगिता का आगाज हो गया है. एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में पत्रकारिता अपने मूल उद्देश्य से भटकती जा रही है. अखबार व न्यूज चैनल्स को मैनेज किया जा सकता है, लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइटस पर लगाम कसना फिलहाल नामुमकिन सा ही है. इन साइटस ने जब ईमानदारी से अपने ताकत का अहसास कराया तब ही मिस्र में क्रांति के जरिए सत्ता परिवर्तन हो गया. अभी तक अखबार और न्यूज चैनल्स का महत्व था, लेकिन अब इनसे तेज गति से सूचनाओं को एक-दूसरे तक पहुंचाने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटस भी शामिल हो गई है. अब कहा जा सकता है कि आप जैसा चाहे वैसे समाज का निर्माण कर सकते है. इन साइटस पर कोई अपनी अभिव्यक्ति को अपने तरीके से जाहिर कर सकता है. जब कोई विचार मन से बाहर निकल जाता है, तब उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकता. उस विचार के इर्द-गिर्द ही समाज घूमने लगता है. कहने का आश्य है कि इन साइटस पर अपने भावों व विचारों को प्रेषित करते हुए इस बात का ध्यान रखा जाएं कि हम समाज को किस दिशा में ले जाना चाहते है.