रविवार, 22 अगस्त 2010

तेरी याद

सोचा था
तेरी याद के सहारे
जिंदगी बीता लूंगा
अब न तेरी याद आती है
न ही जिंदगी के दिन ही बचे
जो बचे भी उनमें क्या तेरे मेरे
क्या सुबह, क्या शाम
बस एक ही तमन्ना है
जहां भी रहो मुझे याद करना
क्योंकि तुम याद करोगे तो
दुनिया से जाते वक्त गम न होगा
क्योंकि तुम, तुम हो और हम, हम
राहें जुदा हो गई तो क्या
कभी मिलकर चले थे मंजिल की ओर
अब तो सोच कर भी सोचता हूं
क्यों मिले थे हम और क्यों बिछड़े
सोचता हूं
तेरी याद को ही भुला दूं
पर कमबख्त याद है ही ऐसी
भुलाते भुलाते भी रूला ही देती है तेरी याद.

2 टिप्‍पणियां:

  1. यादों को भुलाना मुश्किल है

    सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, धन्‍यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  2. galib ne farmaya tha
    yaade-mazee azaab hai ya rab
    chheen le mujh se hafiza mera
    _________________________________________________
    marmsparshee panktiya hain aapkee
    likhate rahiye

    जवाब देंहटाएं