रविवार, 15 सितंबर 2013

हम भी जिद के पक्के है

क्या बात करें किससे बात करें
जब किसी ने सुनना ही नहीं है तो
कितना भी विरोध प्रदर्शन कर लो,
कुछ नहीं होने वाला लेकिन
इतना तो जानते ही है
वक्त किसी का नहीं होता.
आज उनका तो कल हमारा
कर लीजिये कितने भी जुल्म।
अभी वक्त तुम्हारा है।
हम भी जिद के पक्के है,
इस गुस्से को शांत नहीं होने देंगे।
भरोसा है अपने पर, बदलेगा वक्त जरुर
आज नहीं तो कल, जवाब तो देना होगा
अभी तो यह आगाज़ है, अंजाम बाकी है
कदम अब उठ चुके मंजिल की ओर
नहीं रुकेगे किसी के रोकने से
हर जुल्म का हिसाब लेगें हम
अब नहीं होने देंगे मनमानी
क्योंकि अब हम भी जागे है
हम भी जिद के पक्के है,
इस गुस्से को शांत नहीं होने देंगे।