रविवार, 5 सितंबर 2021

शिक्षक और गुरु

यदि कोई देश को भ्रष्टाचार मुक्त और सुंदर मन वाले लोगो का राष्ट्र बनाना है, तो मुझे दृढ़तापूर्वक मानना है  कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य हैं जो ये कर सकते है- वे है पिता, मां और शिक्षक.

-डा.एपीजे अब्दुल कलाम

जिंदगी में  गुरु से ज्यादा शिक्षक की आवश्यकता होती है. गुरु काबिल हो  या न हो कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन शिक्षक का काबिल होना जरूरी है.  इहलोक में व्यवस्थित रूप से जीवनयापन करने की शिक्षा देने वाले शिक्षक की काबिलियत प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देती है. लेकिन पूर्णरूप से कल्पनाओं पर आधारित परलोक सुधारने का दावा या वादा करने वाले गुरु के ज्ञान का रिजल्ट मृत्युलोक में जाकर ही पता चल सकता है. जिसके बारे में कोई नहीं बता सकता. तब ऐसे में जैसी शिक्षा वैसा भविष्य.  इस बात में कोई शक नहीं है कि शिक्षक  बिखरते समाज को एकसूत्र में बांधने का काम करते हैं, परंतु जीवन के एकमात्र सत्य को बताने -समझाने के नाम पर समाज में बिखराव के हालात पैदा करते हैं.  भारत में 5 सितंबर का दिन गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय वाले गुरु के सम्मान के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माता  शिक्षकों के सम्मान के लिए निश्चित है.  यह अलग बात है कि सम्मान को दिनों में नहीं बांटा जा सकता. फिर भी.  शिक्षा मूलभूत समस्याओं को निपटाने में महत्वपूर्ण साबित होती है तो ज्ञान मन को शांत रखता है. दोनों की अहमियत को कम करके नहीं आंका जा सकता.  जिंदगी की शुरूआत शिक्षकों के दिशा-निर्देशन  और अंत गुरुज्ञान के प्रकाश में हो तो जीवन धन्य माना जाता है.  ज्ञान किसी को मिले या न मिले, लेकिन शिक्षा सभी को मिलनी जरूरी है.