सोमवार, 9 मई 2022

मुझे कुछ कहना है तुमसे

 मुझे कुछ कहना है, तुमसे। यूं तो मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। बस मन के कोने में सिमटी कुछ यादें है, जो कभी-कभी दिल को बेचैन कर देती है। एक लंबा अरसा हो गया, तुमसे बात किए हुए। इस बीच कई पल आए, जब मुझे लगा कि अब जरूरी हो गया है तुमसे बात करना। मगर जिंदगी के झंझावतों मैं इतना फंसता चला जा रहा हूं कि फुर्सत के दो पल भी मिलना दुश्वार हो गया है। बचपन से सोचता रहा कि बहुत सुकून के साथ जिंदगी गुजर जाएगी। मेरा सोचना गलत था। बचपन के सुनहरे पल और हसीन सपने न जाने कब रिश्ते-नाते और सामाजिक बंधन में कैद हो गए मालूम ही न चला। आए दिन कोई न कोई बात ऐसी हो जाती है, जो मन को विचलित कर देती है। फकीरी में जीना, किसको अच्छा नहीं लगता। न घर की चिंता, न अपना होश। लेकिन अपने साथ तो ऐसा बिलकुल नहीं है। यहां तो अपने से ज्यादा अपनों की चिंता ही खाए जाती है। यूं तो बहुत सोच-समझा और जाना है कि मंजिल पर कैसे पहुंचना है। जिंदगी एक दरिया समान है, जिनके बाजुओं में ताकत और हौसले बुलंद होते है वो इस दरिया को तैर कर पार करते है। जिनमें ताकत और हौसले की कमी होती है, वह तो इसी उम्मीद में बहते रहते है कि कहीं तो किनारा मिल ही जाएगा। जिंदगी के इस दरिया को तैर कर पार करने की मेरी उम्मीदें तो कब की मेरा साथ छोड़ गई, पर अपनों का विश्वास और आशा अभी भी जवां है। उनको तो आज भी लगता है कि मैं बहुत काबिल हूं। मैं भी अपने छुटपुट प्रयासों से इतना ही भ्रमजाल फैला पाया हूं कि उनका भरोसा न टूटे। बस यूं ही कुछ बातों को कहने का प्रयास किया था, लेकिन जिंदगी की उलझन को सुलझाने की कोशिश में एक बार फिर उलझ गया हूं और भूल गया कि मुझे तुमसे क्या कहना था। अब फिर कभी समय मिला तो जरूर कहूंगा। पर मेरा इतना विश्वास तो जरूर करना कि मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। बस यूं ही तुमसे कुछ कहना था, तो कह दिया बाकी फिर कभी।

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