मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

सोचा चलो कुछ लिखा जाए। लिखने बैठा तो समझ नहीं आ रहा था कि क्या लिखा जाए। सब कुछ तो लिखा जा चुका है। फिर मैं नया क्या लिख सकता हूँ। सोचते सोचते बहुत सोचा पर समझ नहीं आया। पता नहीं लोग कैसे लिख लेते है। सबसे कठिन काम है कुछ भी लिखना। जिसे कोई पढ़ सके।
लोग बड़ी बड़ी बातें कितनी आसानी से लिख लेते है। उन्हें लिखते हुए देख कर लगता है कि क्या मैं भी कभी उनकी तरह लिख सकूगा। सबसे अच्छा काम है कुछ पढ़ना और थोड़ा बहुत लिख लेना। पर क्या करे लिखने की आदत भी तो होनी चाहिए। यहाँ तो दूसरो में कमियां निकालने के अलावा कोई दूसरा काम सिखा हो तो न।
उम्मीद है आने वाले समय में कुछ अच्छा लिखने की आदत पढ़ जाए और आपको कुछ अच्छा पढने को मिल जाए।

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