बुधवार, 4 सितंबर 2019

सेल्फी विद हेमंत छाबड़ा



यह है हेमंत छाबड़ा. सामान्य बच्चों से थोड़ा हटकर. इसलिए ये ऋषिकेश स्थित ज्योति स्कूल (विशेष बच्चों के लिए) में स्कूलिंग के लिए जाते थे. स्कूल में अधिकांश समय गुस्से में रहने वाले हेमंत बाहर से जितने सख्त दिखते है, अंदर से उतने ही अच्छे दिल के है. सामान्य स्कूल्स के नखरे और ईश्वर की विशेष कृपा इन पर रही. श्री भरत मंदिर स्कूल सोसाइटी ने इनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए ज्योति स्कूल की स्थापना की है. स्कूल में विशेष बच्चों के लिए जरूरत की चीजों का समुचित इंतजाम हर समय रहता था. मुझे भी एक लंबे समय तक इन बच्चों के बीच कम्प्यूटर टीचर के रूप में रहने का मौका मिला. अब हेमंत की ही बात करूं, आज भी ये मेरे सामने आते है तो इनकी जबान पर सिर्फ एक ही बात होती है, ये मेरे सर है.‌मेरी मजबूरी कहो या ईश्वर की लीला मैं चाह कर भी इनको कम्प्यूटर तो नहीं सीखा पाया. पर जितना यह कर सकते थे उतना मैंने इनको जरूर करवाया. इन्हीं बच्चों की दुआओं का असर है कि जहां मैं आज आराम से जीवन व्यतीत कर रहा हूं वही हेमंत छावड़ा विश्व प्रसिद्ध योग नगरी ऋषिकेश की मशहूर हीरा भटूरे वाले की दुकान पर काम कर रहे हैं. समाज से उपेक्षित व अपने मां-पिता के लाड़ले ये बच्चे ज्योति के उजाले में दुनिया की चकाचौंध से दूर अपनी अंधेरी होती जिंदगी में भविष्य की राह ढूंढ़ रहे है. इन बच्चों को देखकर मेरे मन में एक सवाल जरूर उठता है कि ना जाने कौन सी मजबूरी रही होगी ईश्वर की इन बच्चों को समझदारों की जमात से बाहर रखा. जहां बिना किसी छल कपट के दिव्यांग बच्चे अपनी बात कह देते हैं वही समझदार लोग अपनी समझदारी के चलते ना जाने क्यों इन बच्चों के साथ छेड़खानी करते है. 

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