रविवार, 13 अप्रैल 2025

बाबा साहेब के मंत्रः शिक्षा, संषर्ष और संगठन

भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल 1891-6 दिसंबर 1956), डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। भीमराव अम्बेडकर का भारतीय समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। वह भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता थे। उन्होंने संविधान में सभी के लिए समानता और बन्धुत्व की व्यवस्था की। दलितों- शोषित वर्गों के उत्थान को अथक प्रयास किए और सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित लोगों के लिए आवाज़ उठाई। 14 अक्टूबर 1956 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था। बाबासाहेब ने तीन मंत्र दिए हैं - शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।

१. भारतीय संविधान के निर्माताः उनका सबसे स्थायी योगदान भारतीय संविधान का प्रारुप तैयार करना माना जाता है। प्रारुप समिति के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने भारतीय संविधान को इस तरह से आकार दिया कि भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित हो सके।

२. भारतीय रिज़र्व बैंक  की परिकल्पनाः डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने भारतीय रिज़र्व बैंक की परिकल्पना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1925 में, उन्होंने भारतीय मुद्रा और वित्त पर रॉयल कमीशन (हिल्टन यंग कमीशन) के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने भारत के लिए एक केंद्रीय बैंकिंग प्रणाली की स्थापना का तर्क दिया। उनके विचारों ने आयोग की सिफारिशों को बहुत प्रभावित किया, जिसने आरबीआई अधिनियम 1934 का आधार निर्मित किया- वह क¸ानून जिसने भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की।

३. जाति भेदभाव के खिलाफ संघर्षः अपने पूरे जीवन में उन्होंने दलितों और हाशिए पर रहने वाले समूहों के अधिकारों के लिए जोरदार अभियान चलाया, इस प्रकार उनके प्रयासों ने भारत में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा दिया।

४. सामाजिक सुधारक और शिक्षाविदः शिक्षा की परिवर्तनकारी क्षमता को समझते हुए, बाबासाहेब ने दलितों के उत्थान के लिए शिक्षा के महत्त्व पर बल दिया। उन्होंने कॉलेजों की स्थापना की और दलित समुदाय को जाति एवं सामाजिक असमानता की बेडç¸यों को तोड़ने के साधन के रूप में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

५. महिला अधिकारों के नेतृत्वकर्ताः डॉ. अंबेडकर महिला अधिकारों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने उन हिंदूगत कानूनों में सुधार लाने की दिशा में कार्य किया, जिनमें महिलाओं के साथ भेदभाव किया गया था। उन्होंने हिंदू कोड बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य विरासत, विवाह और तलाक के मामलों में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करना था।

६. श्रमिक सुधारः आधिकारिक पद संभालने से पहले ही, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने अपने संगठन इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के माध्यम से श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण की वकालत की। बाद में, वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री के रूप में, उन्होंने भारत में श्रम सुधारों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

७. राजनीतिक नेतृत्वः राजनीति में अपने प्रवेश के माध्यम से डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने राजनीतिक नेतृत्व भी प्रदान किया।

८. साहित्य और लेखनः डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर एक विपुल लेखक थे, तथा कानून, अर्थशास्त्र, धर्म और सामाजिक मुद्दों पर उनके कार्य अत्यधिक प्रभावशाली बने हुए हैं। उनकी पुस्तकें, जैसे अस्पृश्यता का विनाश, शूद्र कौन थे? एवं बुद्ध और उनका धम्म, दुनिया भर के पाठकों को प्रेरित करती रहती हैं।

डॉ भीमराव अंबेडकर से सीखने वाली बातें 

बाबासाहेब ने शिक्षा को सबसे जरूरी बताया, शिक्षा के जरिये अपने आप को ऊपर उठाने और उन्होंने शिक्षा के जरिये ही आधुनिक भारत के महान नेता बनने की सीख दी। उन्होंने बताया कि जातिवाद और भेदभाव से ग्रस्त समाज में आवाज उठाने के लिए शिक्षित होना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस भेदभाव को शिक्षा प्राप्त करने और इस देश के इतिहास में एक अग्रणी व्यक्ति बनने के अपने दृढ़ संकल्प के रास्ते में नहीं आने दिया और किसी से भी नहीं डरे क्योंकि उन्हें पता था कि वह कुछ गलत नहीं कर रहे। 1990 में, उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अम्बेडकर ने समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता जैसे मुद्दों का नेतृत्व करने के लिए अपनी शिक्षा का इस्तेमाल किया। उनका मानना ​​​​था कि समाज तभी आगे बढ़ेगा जब महिलाएं सशक्त होंगी और उनके पास रोजगार होगा और इसीलिए महिलाओं के उच्च शिक्षा के अधिकार को बरकरार रखा जाएगा। डॉ अम्बेडकर, जो स्वयं अधिकारों से वंचित रहे लेकिन उन्होंने संविधान में मौलिक अधिकारों को अंकित किया, जिससे आने वाली पीढ़ियों को लाभ हो। 

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