रविवार, 24 जनवरी 2010

पैसा

बदलते समय के साथ अपनी धरोहरों को संभालने की जिम्मेदारी है। नए दौर में बहुत से शब्द हमारी जिन्दगी से दूर होते जा रहे है। उनमे एक शब्द है 'पैसा'। जिसका आज कोई वजूद नहीं बचा है। हमको मोबाइल कंम्पनियों का आभार प्रकट करना चाहिए। जिन्होंने आज भी 'पैसा' को जिन्दा रखा है। केवल उनके विज्ञापनों में पैसा शब्द देखने, पढने और सुनने को मिल सकता है। प्रति सेकण्ड काल एक पैसा, प्रति मिनट काल २९ पैसा। चलो कोई तो है जो किसी भी बहाने से ही सही अपने देश की मुद्रा की सबसे छोटी इकाई को आज भी संभाल कर रख raha है। नहीं तो आने वाले समय में बच्चे जान ही नहीं पाते की पैसा भी कोई शब्द था। मोबाइल कंपनियों के इस प्रयास को सलाम.