बुधवार, 8 अप्रैल 2009

आज़ादी

मेरे देश में चुनाव का मौसम आया है
जिसे देखो वह कुरता पजामा पहन के इतरा रहा है
बोलता है तो जहर उगल रहा है।
एक नए बच्चे ने नासमझी में कुछ शब्द क्या कह दिए
समझदार भी नासमझ हो गए।
बेशर्मी की हद देखिये कोई समझाने से तो गया
उल्टा रोलर चलवाने की बात कर रहा है
ख़ुद को मदर बता कर मदर को भी कीचड़ में खिंच लिया
अब कौन समझाये, कौन बताये क्योकि ये भारत है
यहाँ अलग अलग धर्म को मानने वाले रहते है
यहाँ बोलने की आजादी है तो फिर एक नए बच्चे का क्या दोष वह तो अभी राजनीती की रपटीली राहों से अनजान है। लेकिन जो जानते है वह तो उससे बहुत आगे है। उनका क्या होगा। शायद भगवान को शर्म आ जाए। पर नेताजी को क्या शर्म। यही तो भारत की रीत है, तभी तो भारत महान है।
मेरा देश महान।