बुधवार, 23 मार्च 2016

.... फिर भी आजादी चाहिए

अन्ना हजारे की तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से करने का परिणाम देखा है. दिल्ली की गद्दी के चक्कर में अन्ना और उनके विचारों को उनके अनुयायियों ने ही फ्रीज कर दिया. तो इस बात की क्या गारंटी है कि आज कन्हैया की तुलना शहीद भगत से करने वाले भविष्य में कन्हैया और उसकी विचाराधारा को बट्टे-खाते में नहीं डाल देंगे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शहीद भगत ने उस दौर में आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया जब भारतीयों पर अंग्रेजों के अत्याचारों की अति हो गई थी. लेकिन आज अन्ना हो या कन्हैया इन दोनों को अपनी पहचान तक जिंदा रखने के लिए भारत की महान विभूतियों के नामों का सहारा लेना पड़ रहा है. मजेदार बात यह है कि जिस कांग्रेस के पथप्रदर्शक महात्मा गांधी रह चुके हों उसी कांग्रेस के नौनिहालों को राजनीति की महाभारत में कन्हैया को पोस्टर ब्वॉय बनाना पड़ रहा है. इस बात को समझना होगा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शहीद भगत सिंह जो भारतीयों के लिए कर गए हैं, उसके बाद किसी भारतीय के लिए कुछ करने को बचा ही नहीं है. बाकी तो सब आजाद है.....  फिर भी आजादी चाहिए. है न अद्भुत, गजब.

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