सोमवार, 7 मार्च 2016

हद कर दी आपने...

गैर भाजपाइयो ने तो हद ही कर दी, कम से कम उनको जनमत का तो सम्मान करना ही चाहिए. उन्हें याद रखना चाहिए भाजपा ने अपनी मर्जी से नहीं जनमत से सरकार बनाई है और वो भी प्रचंड बहुमत से. जनमत को नकारने के परिणाम असहनीय होते है. जिस पीएम को दुनिया हाथो-हाथ ले रही है उसको विपक्ष कुछ समझता ही नही. प्रधानमंत्री पद का आदर और गरिमा जैसे शब्दों की तो बात ही करना बेकार है. दूसरी ओर जेएनयू से भले क्रीम निकलती हो, लेकिन उस क्रीम का क्या फायदा जो साठ साल से देश के चेहरे पर चमक तक न ला पाए. देश भर के होनहारों को एक परिसर मे एकत्र करके कहते है यह अव्वल दर्जे की यूनिवर्सिटी है. फिर कांग्रेस की सरकार प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के नाम पर स्थापित यूनिवर्सिटी के बदनुमा राजों को जगजाहिर भी करती तो कैसे?
न्यूज चैनल्स तो कन्हैया को ऐसे कवर रहे है कि वो जेल से जमानत पर नही पीएम मोदी को चुनाव मे हरा कर आया है और बस पीएम पद की शपथ ग्रहण करना बाकी है. जरूरत से ज्यादा मीडिया कवरेज दिमाग खराब कर देती है. रिसर्च स्कॉलर कन्हैया को भी समझना चाहिए कि शब्दों की चाशनी से नारे तो बनाए जा सकते है लेकिन सच को झूठ और झूठ को सच नही बनाया जा सकता. वह जिस गुलामी से आजादी के लिए क्रांति की मशाल उठा रहा है उसको बढावा कांग्रेस ने ही दिया है. सब कुछ ठीक है, हर बात को पचाया जा सकता है, लेकिन इस बात को कैसे मान लिया जाए कि देश के नामीगिरामी विश्वविद्यालय में देश विरोघी नारे लग जाए और राजनेता उन युवाओं को दंडित या समझाने की बजाय उस प्रकरण का पोस्टमार्टम करने पर उतारू हो जाए. जिन सांसदों ने जनमत का सम्मान नहीं किया वह सरकार की क्या सुनेंगे. चलो मान लिया जेएनयू प्रकरण में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने झूठ ही कह दिया कि हाफिज के इशारे पर भारत के खिलाफ नारेबाजी हुई. लेकिन विपक्ष का इस बात पर भड़कना और उनसे सबूत मांगना, वह भी उस शख्स के समर्थन में जो भारत का सबसे बड़ा दुश्मन है. सही नहीं है. किसी भी बात की हद होती है. इन लोगों को याद रखना चाहिए कि हाल ही में पाकिस्तान में एक शख्स को सिर्फ इसलिए जेल में डाल दिया गया कि उसने भारतीय क्रिकेटर के समर्थन में तिरंगा लहरा दिया था.

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