ऋषि मुनियों की शांति और प्यार का संदेश देने वाली नगरी ऋषिकेश मॆं सिर्फ एक चुनाव जीतने भर के लिए पहाड़ मैदान के बीच मनमुटाव का जो बीज बो दिया गया है, उसका परिणाम तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन आप सोचिए पहाड़ में अगर सब कुछ होता तो वहां से पलायन क्यों होता? अगर मैदान में कुछ होता तो फिर पहाड़ पर नजर क्यों होती? जो बातें कभी किसी दौर में दबी जुबान में कही जाती होगी वह आज खुलकर सामने आ रही है। कहां जाता है तलवार से खतरनाक वार बात का होता है। तलवार का जख्म भले ही भर जाता हो लेकिन कही गई बात का असर कभी नहीं जाता। मूल निवास की बात छोड़ो बात तो हर हाथ को काम की है। जब तक हर हाथ को काम नहीं मिलेगा, तब तक पलायन नहीं रुकेगा। आज पहाड़ खाली हैं क्योंकि रोजगार की तलाश में जो घर से निकले वह शायद ही लौटकर कभी घर गए होंगे और जब गए होंगे तो वहां ताले पड़े होंगे वह भी टूटे-फूटे घरों में। छोटे-छोटे शहर मेट्रो सिटी बनने के कगार पर खड़े हैं और गांव के बचे कुचे घर खंडहर होने की दहलीज पर। पहाड़ों पर स्थित लगभग हर गांव की ऋषिकेश से पहुंच ज्यादा से ज्यादा एक दिन की होती है तब ऐसे में अगर ऋषिकेश में रोजगार की तलाश पूरी हो जाती है तब पहाड़ से पलायन रुकने की संभावना बन सकती है। कड़ुवा है लेकिन सच यही है कि हर हाथ को काम दिलाने की योजना को धरातल पर उतारना नेता की सोच और पूंजीपतियों की महत्वाकांक्षा पर ही निर्भर करता है। बिना पूंजी के आप फैक्ट्री तो छोड़िए एक ठेली तक नहीं लगा सकते। जिस एवरेज में आबादी बढ़ रही है उसी एवरेज में ही रोजगार कम हो रहा है। समय आ गया है जब हम इस बारे में गंभीरता से सोचे कि हमको रोजगार बढ़ाना है। रोजगार होगा तो पहाड़ भी बचेगा और मैदान भी आबाद होगा। सब खुशहाल होंगे तो हमारी संस्कृति और संस्कार भी बसंत की तरह खिलखिलाते रहेंगे। समय के साथ अपडेट होना जरूरी है। जब दुनिया शांति की तलाश में ऋषिकेश आती है, तब यहां पर नफरत के बीज बोने की क्या जरूरत है। बात निकलती है तो दूर तक जाती ही है और कभी ना कभी असर भी दिखाती ही है।
शहर आपका- फैसला आपका
मतदान कीजिएगा जरूर.
#Rishikesh #NagarNigam #election2025
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें